सलाम उस पर खुदा के बाद उस जैसा नहीं कोई
सलाम उस पर कि नबियों में नबी वैसा नहीं कोई
सलाम उस पर सिपह सालार ऐसा मिल नहीं
सलाम उस पर सिपाही उस जैसा मिल नहीं सकता
सलाम उस पर कि सबकी गालियां खा कर दुआएं दे
सलाम उस पर कि पत्थर लाठियाँ खा कर दुयाएं दे
सलाम उस पर कि मिट्टी भी छू दे तो वह सोना था
सलाम उस पर कि इकहरा टाट ही जिसका बिछौना था
सलाम उस पर पसीना थूक जिसका मश्क अंबर था
सलाम उस पर जो बेशक आखिरी सच्चा पैगंबर था
सलाम उस पर जिसका ही हुक्मे इलाही था
सलाम उस पर कि जिसका रूठ जाना भी तबाही था
हूकमत और शुजाअत में कोई सानी नहीं उसका
सखावत और सदावत में कोइ सानी नहीं उसका
किसी बीवी को शौहर ऐसा कोई मिल नहीं सकता
किसी साथी को साथी उनके जैसा कोई मिल नहीं सकता
तेरी शाही फकीरी थी फकीरी रश्के शाही थी
तुम्हारी ज़िन्दगी क्या थी फ़क़त अश्क ऐ इलाही थी
नहीं है उनके जैसा ख़ूबसूरत कोई दुनिया में
नहीं है उनके जैसा कोई मंसफ़ सारी दुनिया में
सलाम उस पर सलाम एक बार फिर कहने की हसरत है
पहुँच जायें पयाम एक बार फिर ये दिल में कहने की चाहत है
"ye tūl arz-o-sama to bahut hi kam hai payam
ये तूल अर्ज ओ समा तो बहत ही कम है पयाम
tere shaūr-e-takhyyul ki wusaton ke liye
तेरे शउर ए तखय्यूल की वूस्अतों के लिए "
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