कदम जब घर से तुम बाहर निकालो
पता मौसम के बारे में लगा लो
जवानी कर रही है अब तकाजा
निगाहों में कोई सपना सजा लो
मेरा साया मेरा साया नहीं है
घटा लो तुम उसे चाहे बढा लो
वफाओं पर है जिनकी नाज तुमको
किसी दिन तुम उन्हें भी आजमा लो
बिछा लो मेज पर पत्थर के टुकडे
किसी गुलदान में कांटे सजा लो
सभी बरबाद करने पर तुले हैं
बचाने की कोई सूरत निकालो
तुम्हारी जिंदगी खुद है समंदर
उसी में डूब कर मोती निकालो
जो खाई पाटना मुमकिन नहीं तो
वहां एक खूबसूरत पुल बना लो
न जाने कल का सूरज क्या दिखाए
पयाम इस शाम को कल पर न टालो
"ye tūl arz-o-sama to bahut hi kam hai payam
ये तूल अर्ज ओ समा तो बहत ही कम है पयाम
tere shaūr-e-takhyyul ki wusaton ke liye
तेरे शउर ए तखय्यूल की वूस्अतों के लिए "
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