अपना दामन तो बचा ले कोई
फिर मेरा नाम उछाले कोई
हर समंदर में हैं जंगी बेडे
कश्ती ए नूह भी डाले कोई
ये तो मैखाने का नहीं दस्तूर
कोई बहके तो संभाले कोई
दिल ही जब टूट चका है यारों
तख्ता ए मश्क बना ले कोई
अपनी रफतार न बदलेगी जमीं
आसमां सर पे उठा ले कोई
उसकी आंखों से छलकती है शराब
तश्नगी अपनी बुझा ले कोई
मैं तो आवारा ख्वाब हूं यारों
अपनी पलकों पे सजा ले कोई
सब तो अपने हैं गैर कोई नहीं
डूबता हूं मैं बचा ले कोई
ये जवानी की है दहलीज पयाम
कैसे आंचल को संभाले कोई
"ye tūl arz-o-sama to bahut hi kam hai payam
ये तूल अर्ज ओ समा तो बहत ही कम है पयाम
tere shaūr-e-takhyyul ki wusaton ke liye
तेरे शउर ए तखय्यूल की वूस्अतों के लिए "
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