"ye tūl arz-o-sama to bahut hi kam hai payam
ये तूल अर्ज ओ समा तो बहत ही कम है पयाम
tere shaūr-e-takhyyul ki wusaton ke liye

तेरे शउर ए तखय्यूल की वूस्‍अतों के लिए "

मैं अपनी कि‍ताब शउरे तखय्यूल के गजलों के ब्‍लाग में आपका खैर मकदम करता हूं - Payam Ansari


(6)

किसी गम से हो जो न आश्‍ना कोई खार जिसको छिपा न हो
कभी उसके दिल से भी पूछिये ये खुशी ही उसकी सजा न हो
मेरे आशियां को जला के भी तेरे दिल की आग बुझी नहीं
मेरे दोस्‍त मुझको ये फिक्र है कहीं हाथ तेरा जला न हो
ये उडा-उडा सा है रंग क्‍यों ये बुझी बुझी सी नजर है क्‍यों
जरा दिल में अपने तो झांक ले कोई चोर दिल में छुपा न हो
उसे कैसे मान लू बागबान कि चमन में फसले बहार है
जहां कोई पेड हरा न हो जहां कोई फूल खिला न हो
कभी अपने बाजूओं के जोर पर किसी नातवां पे न ज़ुल्‍म कर
तेरे साथ सारा जहां सही कहीं उसके साथ खुदा न हो
न जबां ही तेरी खुली कभी न नजर को तेरी जबां मिली
ये पयाम को जो नसीब है कहीं तेरे दिल की सदा न हो

No comments:

Post a Comment