साकिया अब न पिला काफी है
तेरी आंखों से पया काफी है
जो गया हाथ से क्या गम उसका
जो मुकद्दर से मिला काफी है
इस कदर सूख चुके हैं पत्ते
एक हल्की सी हवा काफी है
आप खुद सारी खुदाई रखिये
मुझको बस मेरा खुदा काफी है
आह में होती है आवाज कहां
उसकी खामोश सदा काफी है
तुम न आये कोई खुशबू लेकर
मुझको गुलशन की हवा काफी है
किस कदर लोग हैं घबराये हुये
शहर में खून बहा काफी है
लुट गये आप शराफत में पयाम
चलिए जो कुछ भी बचा काफी है
"ye tūl arz-o-sama to bahut hi kam hai payam
ये तूल अर्ज ओ समा तो बहत ही कम है पयाम
tere shaūr-e-takhyyul ki wusaton ke liye
तेरे शउर ए तखय्यूल की वूस्अतों के लिए "
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