वह जो दुनिया से किनारे थे बहुत
उनके ही चाहने वाले थे बहुत
गर चे कि कम मेरे इरादे भी न थे
जिंदगी तेरे तकाजे थे बहुत
उनकी आंखों को बशारत न मिली
जिनकी दुनिया में उजाले थे बहुत
अपना घर कोई नहीं था लेकिन
हम फकीरों के ठिकाने थे बहुत
इश्क की आखिरी मंजिल न मिली
कुछ मकाम और भी आगे थे बहुत
कोई वायदा न तकलम न पयाम
उनकी आंखों के इशारे थे बहुत
"ye tūl arz-o-sama to bahut hi kam hai payam
ये तूल अर्ज ओ समा तो बहत ही कम है पयाम
tere shaūr-e-takhyyul ki wusaton ke liye
तेरे शउर ए तखय्यूल की वूस्अतों के लिए "
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