"ye tūl arz-o-sama to bahut hi kam hai payam
ये तूल अर्ज ओ समा तो बहत ही कम है पयाम
tere shaūr-e-takhyyul ki wusaton ke liye

तेरे शउर ए तखय्यूल की वूस्‍अतों के लिए "

मैं अपनी कि‍ताब शउरे तखय्यूल के गजलों के ब्‍लाग में आपका खैर मकदम करता हूं - Payam Ansari


गजल-4

या तो तूफान मेरी कश्‍ती को तबाही देगा
वरना साहिल से कहीं इसको लगा ही देगा
कत्‍ल करते हए कातिल को मुझे मकतल में
सब ने देखा था मगर कौन गवाही देगा
कौन आयेगा यहां आग बुझाने के लिये
जो भी आयेगा वह शोलों को हवा ही देगा
फिर तो रहबर उसे तसलीम करेगी दुनिया
कोई मंजिल का पता जब कोई राही देगा
अपनी हस्‍ती से वह बेजार तो लगता है मगर
मुझको देखेगा तो जीने की दुआ ही देगा
कौन रोकेगा तुम्‍हें चलते रहो चलते रहो
हां उडोगे तो कोई पर को जला ही देगा
होके मायूस गनीमत है कि खामोश है वह
खुश जो होगा तो मुझे कोई सजा ही देगा
वह किसी गम को नहीं पाने वाला है पयाम
हाथ आ जाये परिंदा तो उडा ही देगा

ग़ज़ल 3

जिंदगी तुझ से तो पैगाम अज़ल अच्छा था
वह तो हम जैसों के दुःख दर्द का हल अच्छा था
कल की उम्मीद पर हर रात बसर होती है
हर नई सुबह ये कहती है कि कल अच्छा था
तुझ से फिर मिल के ये महसूस किया है मैंने
तेरी यादों में जो गुज़रा था वह पल अच्छा था
एक एक बूँद में पैगाम वफ़ा था मुज्मर
तेरी आँखों से जो छलका था वह जल अच्छा था
कुछ असर तुझ पे वफाओं का हुआ था न कभी
हाँ ज़फाओं पे मगर रद्दे अमल अच्छा था
आँख खुलते ही निगाहों में थे वीराने पयाम
इस हकीकत से ख्वाबों का महल अच्छा था

गजल -2

किस मुहब्बत से तुम्हें ख़त आजकल लिखता हूँ
क्या समझ पाओगे तुम किस रंग में डूबा हूँ मैं
मेरे बारे में गुलों की राय भी ले लीजिये
लोग काँटा ही कहेंगे उनको तो चुभता हूँ में
मजतरिब कर देता है फिर जाने क्यों शौक सफर
जब किसी मंजिल पे पल भर के लिए ठहरा हूँ में
रक्स गाहों में जलेगी शमा आख़िर कब तक
आ तुझे लेकर अँधेरी राह पर चलता हूँ मैं
मुझ से करता है हमेशा दोस्तों जैसा सलूक
क्यों खफा होता है इसको दोस्त जब कहता हूँ मैं
क्या छपायेगा कोई मुझसे अपना हाल ऐ दिल
अब तो चेहरों को किताबों की तरह पढता हूँ मैं
ठोकरों ने इस कदर मुझ को नवाजा है पयाम
चोट जब भी लगती है मुस्‍करा देता हूं मैं

Ghazal (1)

اداکاری تری فطرت ھے کیوں اسکو برا سمجھیں
अदाकारी तेरी फितरत है क्यों इस को बुरा समझें
بھت ممکن ھے تیرے پیار کو رنگیں ادا سمجھیں

मुमकिन है तेरे प्यार को रंगी अदा समझें
مکمل ہو چکا ھے موت کا سامان جب سارا

मुकम्मल हो चुका है मौत का सामान जब सारा
تو پھر ہم زندگی کو ہی ن کیو ں اک حادثا سمجھیں

तो फिर हम जिंदगी को ही न क्यों एक हादषा समझें

سمندر خود ملوث ہے اگر کشتی ڈبونے میں

کسی طوفان پھر کیوں نا اپنا نا خدا سمجھیں

ذمانےبھر کی خوشیاں پا کے جب دل خوش نھیں ہوتا

ہذاروں غم کو پھر ہمکیوں غموں کی انتہا سمجھیں

زمانے بھر کی خوشیاں پا کے جب دل خوش نہیں ہوتا

ہزاروں غم کو پھر ہم کیوں غموں کی انتہا سمجھیں
مری آواز جب گم ہو گئ نقارخانے میں

زبان خلق کو ہم کیوں نا اپنی ہی صدا سمجھیں

Salaam सलाम سلام

सलाम उस पर खुदा के बाद उस जैसा नहीं कोई
सलाम उस पर कि नबियों में नबी वैसा नहीं कोई
सलाम उस पर सिपह सालार ऐसा मिल नहीं
सलाम उस पर सिपाही उस जैसा मिल नहीं सकता
सलाम उस पर कि सबकी गालियां खा कर दुआएं दे
सलाम उस पर कि पत्थर लाठियाँ खा कर दुयाएं दे
सलाम उस पर कि मिट्टी भी छू दे तो वह सोना था
सलाम उस पर कि इकहरा टाट ही जिसका बिछौना था
सलाम उस पर पसीना थूक जिसका मश्‍क अंबर था
सलाम उस पर जो बेशक आखिरी सच्‍चा पैगंबर था
सलाम उस पर जिसका ही हुक्मे इलाही था
सलाम उस पर कि जिसका रूठ जाना भी तबाही था
हूकमत और शुजाअत में कोई सानी नहीं उसका
सखावत और सदावत में कोइ सानी नहीं उसका
किसी बीवी को शौहर ऐसा कोई मिल नहीं सकता
किसी साथी को साथी उनके जैसा कोई मिल नहीं सकता
तेरी शाही फकीरी थी फकीरी रश्‍के शाही थी
तुम्हारी ज़िन्दगी क्या थी फ़क़त अश्क ऐ इलाही थी
नहीं है उनके जैसा ख़ूबसूरत कोई दुनिया में
नहीं है उनके जैसा कोई मंसफ़ सारी दुनिया में
सलाम उस पर सलाम एक बार फिर कहने की हसरत है
पहुँच जायें पयाम एक बार फिर ये दिल में कहने की चाहत है

दुआ

मेरे अल्‍लाह मुझे शौक बंदगी दे दे
अपने मेहबूब की तू मुझको पैरवी दे दे
तंग रोजी को तू आसान बना दे मौला
आजमाईश के जो शोले हों बुझा दे मौला
आफतों और बलाओं से बचाना हमको
हक की जो राह हो उस राह पर चलाना हमको
बीवी बच्चों को नमाजी तू बना दे या रब
नेक रहने का उन्‍हें आदी बना दे या रब
मेरे बेटे को तू रोजी से लगा दे अल्‍लाह
उसकी सोई हुई तकदीर जगा दे अल्‍लाह
बेटी दामाद को खुशियों का खजाना दे दे
उनके बच्‍चों को मसर्रत का तराना दे दे
अहले खाना को दे आपस में मुहब्बत या रब
सबको खुशहाल सेहत मंद बना दे या रब
हर पडोसी की मेरे दिल में मुहब्बत दे दे
गांव वालों को आखूत भरी दौलत दे दे
दूर कर दे मेरी बस्‍ती की जिहालत या रब
दूर कर दे तू यहां की बुरी आदत या रब
इल्‍म की रोशनी हो सब को मयस्‍सर मौला
दीन व इमान का चर्चा भी हो घर घर मौला
छाये हैं आलिम इस्‍लाम पे काले बादल
जो उडा दे उन्‍हें अब ऐसी हवा जाये चल
जिंदगी तकवा से परनूर बना दे या रब
दिल में इमान की कंदील जला दे या रब
बख्‍श दे मेरे गुनाहों को हर एक शर से बचा
मेरे अमाल को तू गुलशने रहमत से बचा
खात्‍मा करना तू इमान पे मेरा या रब
मेरी हस्‍ती का हो जन्‍नत में सबेरा या रब
मेरे मां बाप को तू कब्र में राहत दे दे
अपने महबूब के सदके में शफाअत दे दे
हिजरे असवद को मै चूमूं ये मुकद्दर हो पयाम
इस तरह काबा की चौखट पे हो उम्र तमाम